स्वीकार है या नहीं? Poem by Ajay Srivastava

स्वीकार है या नहीं?

अपना लो तो अपने भी पराए हो जाते है
त्याग दो तो पराए भी अपने हो जाते है
बिगडे काम बन जाते है त्याग दो तो
बने काम भी बिगडे जाते है अपना लो तो 11

जाति, पंथ, धर्म, वर्ग,
कोई भेदभाव नही मानता
हर किसी को अपना लेता है
नया कुछ भी नहीं है बहुत सरल बात 11

गुस्सा नियंत्रण मे रहे तो य़ोगी बना दे
दुनिया भर में विश्व शांति, भाईचारा और प्यार फैला दे
नियंत्रण से बहार तो क्रूर बना दे
युद्ध की स्थिति, अराजकता, अव्यवस्था, बेसुरापन बना दे
पसंद आपकी है आप क्या स्वीकार करते हैं?

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Ajay Srivastava

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