चल उस राह पर Poem by Nirvaan Babbar

चल उस राह पर

चल उस राह पर जिस पर,
पग पग पर प्रेम, पंख पसारे बैठा हों,

जहाँ हर धर्म को मानने वाले,
हाथों को थामे चलते हों

एक के दुःख मैं, सब हों रोते,
सब की खुशियों मैं, सब हँसते हों,

भूख लगे जो, राम को तो,
रहीम उसे खाना खिलाता हों,

ज़ोसफ के बच्चों को,
हरनाम ख़ुद चलना सिखाता हों,

जहाँ दिवाली पे पहली जोत,
रहीम स्वयं जलाता हों,

हर ईद पर सिवैयां स्वयं राम,
रहीम के मुख लगता हों,

हर बच्चे के नामकरण मैं,
कोई धर्म ना आड़े आता हों,

निर्वान बब्बर

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