नोट क्या पलटे कि किस्मत पलट लिया
यू.पी, एच.पी, गान्धी-नगर सब सलट दिया
कर-गब्बर-सिंह घूमा खूब कुछ असर नहीं
साहेब आपने सनिमा अपना पुरा हिट किया
बस गोटी इसी तरह फिट करते जाईये
हर रोज़ नया शो नया टिकट बनाईये
जो वादे किये पहले सारे भूल गये हैं
खाली मन की बात एतवार को सुनाईये
हम पूछेंगे पसीना साहेब छूट जायेगा
ये जीत का ख़ुमार सारा टूट जायेगा
सोचेंगे कि मैंने ये सोचा भी नहीं था
कि इस तरह से कोई हमें कूट जायेगा
बड़का सब्ज-बाग दिखला के सटका दिया है
मन-मोह के जनता को जो भटका दिया है
किस मुह से आप पढ रहे देश भक्ती का कलमा
जबकी धरा 370 को कहीं छप्पर में लटका दिया है
मुखर्जी के कुर्बानी को भी खयाल में रखते
महबूब थे तो महबूबा को जाल में रखते
ये काम राष्ट्रवादियों का हो नहीं सकता
‘द' लगा के साहेब ख़ुद को देश के ‘लाल' में रखते
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