खुशियों की चाशनी से भरे,
बीते हुए समय के डब्बे,
कोई चुपके से हथेली पर रख दे मेरे,
वो पुरानी यादों के मुरब्बे I
जीने की अफरा तफरी मे मैं,
जीवन का स्वाद ही भूल गया,
चटपटी चूरन सी लगती थी जो,
आज यादों की चाशनी मे घुल गया,
मुझे मीठा कभी पसंद न था,
गुज़रे पल लगते हैं आज मिठाई के डब्बे,
कोई चुपके से हथेली पर रख दे मेरे,
वो पुरानी यादों के मुरब्बे I
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem