मुझे मुझसे थोड़ी फुर्सत मिल गयी आज,
बैठे है चुपचाप सिर्फ हम दो ही,
एक चाय गपशप और ढलता सूरज,
एक शाम ये है और तुम तो हो ही I
तपता बदन मेरा और गर्म सांसे,
सिरहाने का तकिया सिर्फ हम दो ही,
एक कम्मल एक बिस्तर एक बाहों का पिंजरा,
एक रात ये है और तुम तो हो ही I
जगता सूरज और जागती ऑंखें,
करवट-ए-उलझन सिर्फ हम दो ही,
एक भोर एक चमक एक उम्मीद नयी,
एक सुबह ये है और तुम तो हो ही I
चीखता शहर और भागते लोग,
एक टिफ़िन का डब्बा सिर्फ हम दो ही,
एक खुश्बू एक निवाला एक बेचैनी,
एक दोपहर ये है और तुम तो हो ही I
फीका लिवाज़ और धुंदली रौशनी,
चाय का प्याला सिर्फ हम दो ही,
एक पंछी एक घोसला एक घर,
एक शाम ये है और तुम तो हो ही I
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