तुम तो हो ही... Poem by Dr. Sandeep Kumar Mondal

तुम तो हो ही...

मुझे मुझसे थोड़ी फुर्सत मिल गयी आज,
बैठे है चुपचाप सिर्फ हम दो ही,
एक चाय गपशप और ढलता सूरज,
एक शाम ये है और तुम तो हो ही I

तपता बदन मेरा और गर्म सांसे,
सिरहाने का तकिया सिर्फ हम दो ही,
एक कम्मल एक बिस्तर एक बाहों का पिंजरा,
एक रात ये है और तुम तो हो ही I

जगता सूरज और जागती ऑंखें,
करवट-ए-उलझन सिर्फ हम दो ही,
एक भोर एक चमक एक उम्मीद नयी,
एक सुबह ये है और तुम तो हो ही I

चीखता शहर और भागते लोग,
एक टिफ़िन का डब्बा सिर्फ हम दो ही,
एक खुश्बू एक निवाला एक बेचैनी,
एक दोपहर ये है और तुम तो हो ही I

फीका लिवाज़ और धुंदली रौशनी,
चाय का प्याला सिर्फ हम दो ही,
एक पंछी एक घोसला एक घर,
एक शाम ये है और तुम तो हो ही I

Friday, February 9, 2018
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Dr. Sandeep Kumar Mondal

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dhanbad, jharkhand
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