टपकते एहसास Poem by Sahira Sargam

टपकते एहसास

अमृता को ख्वाब में रखकर साहिर सोचा था
पता नहीं कब मीर से फिसलकर गालिब में जा गिरी...

Monday, February 26, 2018
Topic(s) of this poem: feeling
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