सूरज सा तेज प्रकाश है,
शत्रुओ का जो बिनाश है,
जग माने जिसका लोहा,
जिससे धरा,
जिस से आकाश है।
हैं भारत का शौर्य ताज जो,
करता है हर भूमि पे राज जो,
काल भी कदमों में सर टेके,
कर दे अगर,
बस एक आवाज जो।
वो भूपति वंशज परशुराम के,
ब्राह्मण का क्षत्रिय अवतार,
ये सारे गुण हो जिसमें,
वो कहलाते है भूमिहार।
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