आउटसोर्सिंग Poem by Upendra Singh 'suman'

आउटसोर्सिंग

'आउटसोर्सिंग ' के मामले में
हम पूरी दुनियाँ में बहुत आगे हैं।
विकसित देश तो
हमसे बहुत बाद में जागे हैं।
दशकों से सरकारी सौजन्य से
हम यमपुरी के यमराज की
'आउटसोर्सिंग' में धड़ल्ले से योग कर रहे हैं।
शून्य अंक पाकर MBBS की ऐसी-तैसी
करनेवाले 'डॉक्टरों' द्वारा की जा रही वैधानिक हत्या से
मरीज थोक के भाव मर रहे हैं।
आदरणीय यमराज को अब
हम पर गज़ब का भरोसा है
और उन्होंने पूरे ब्रह्मांड का अपना कारबार
हमारे नाम करने को सोचा है।
बहरहाल,
'आउटसोर्सिग, करने के अपने-अपने कायदे हैं।
कोई माने या न माने इसके बहुत फायदे हैं।
बढ़ती जनसंख्या पर इससे बहुत नियन्त्रण है।
मुन्ना भाई को सरकार का खुला आमंत्रण है।

Saturday, September 22, 2018
Topic(s) of this poem: outsourcing
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success