"यादें"
यादों के बादल जीवन में,
घुमड़ -घुमड़ कर आते हैं।
सावन की काली घटा सदृश्य,
मन मेरा घबराते हैं।
मन होता प्रफुल्लित कभी,
अवसाद से कभी भर जाता है।
नींद कभी उड़ जाती है,
कभी नींद में यादें आती हैं।
भूत- भविष्य का पता नहीं,
ना जाने कहां कहां से आती है।
कुछ यादें तो जीवन से जुड़ी,
कुछ अटपटी सी होती हैं।
ये यादें भी क्या यादें हैं,
जो सदा जीवन में आती हैं।
जीवन जिया काफी लंबा,
अनुभव पाया खट्टा-मीठा।
मिला कर सबको आपस में,
ये यादें कॉकटेल बनाती हैं।
जब ज्यादा ये हो जाती हैं,
नींद मेरी उड़ाती है।
माथे पर पसीना आता है,
दिल धक धक सा करने लगता है।
नहीं चाहता मैं उनको,
यूं ऐसे परेशान करे मुझको।
पर ये तो ढीट है इतनी,
मुझ पर हावी हो जाती है।
ना दिन देखें, ना रात देखें,
परेशान करने चली आती है।
ये यादें भी क्या यादें हैं,
अटूट बंधन में बंध जाती है।
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ये यादें कॉकटेल बनाती हैं। नींद मेरी उड़ाती है। मुझ पर हावी हो जाती है।.... //.... यादों की दुनिया का बेहतरीन चित्रण जिसमे मिठास भी है और खटास भी.