डिजिटल इंडिया Poem by Upendra Singh 'suman'

डिजिटल इंडिया

हाथ में अब बैंक और साथ में सरकार है।
वाह! डिजिटल इंडिया क्या खूब चमत्कार है।


फासले भी मिट गए मिट गईं दुश्वारियां।
घर पे बैठे यारों अब चलता करोबार है।


गाँव शहर गले मिले दूर हुए शिकवे-गिले।
खेत-खलिहानों में झूमती बहार है।


लोकतंत्र को मिली है रोशनी कमाल की।
जनता के भाग जागे जागा चौकीदार है।


ना चलती है सिफारिश ना कोई सीनाजोरी।
घूस और कमीशन अब यारों खबरदार है।


अब ना रही भाग-दौड़ ना ही लंबी लाइनें।
जय हो! डिजिटल इण्डिया तेरा आभार है।

Saturday, December 29, 2018
Topic(s) of this poem: development
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