दिल्ली की हवा Poem by Upendra Singh 'suman'

दिल्ली की हवा

ये दुनियाँ है कितनी जालिम हम कैसे बतायें।
किस पर करें भरोसा और किससे दिल लगायें।
ये दर्दे दिल हमारा और उसकी बेवफाई।
दिल्ली की हवाओं का अब हाल क्या सुनायें।

Saturday, December 29, 2018
Topic(s) of this poem: pollution
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