सफेद पोशाक Poem by Kezia Kezia

सफेद पोशाक

जब कभी भी सफेद बेदाग
पोशाक पहन कर जाता हूँ
ठीक उसी दिन बारिश होती है
बहुत कोशिश करता हूँ
बारिश से बचने की
बेदाग को बेदाग रखने की
बहुत सम्भलता हूँ
बच बच कर
कीचड़ से दूर चलता हूँ
लेकिन, आदतन आप ही
कीचड़ में पांव धर देता हूँ
फिर सफेद बेदाग पोशाक को
आप ही दाग दाग कर देता हूँ
और बारिश पर आरोप लगा देता हूँ
जब कभी भी सफेद पोशाक
पहन कर जाता हूँ
मन में फिर एक बार संकल्प दोहराता हूँ
इस बार हर हाल में
हर तरह की बारिश और कीचड़ से गुजरकर भी
बेदाग को बेदाग ही रखना चाहता हूँ
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