निडर मन Poem by Shaunak Chakraborty

निडर मन

जहां मन निडर है
यह ख्याल दिल में समाए
जहां ज्ञान मुक्त है
सृष्टि ना बिक्री हो टुकड़ों में
वहां शब्द दिल से आता है

उहपछिया उठती है,
अप्रतिबंधित धारा में
देश में देश चलता है
कई हजारों हस्तियां,
जो निराशा का रास्ता है

ग्रासी ने परीक्षण का प्रवाह नहीं छोड़ा,
नगरपालिका में नहीं किया गया,
यह हमेशा संभव है
आप हि खुश विचारों के नेता हैं,
फर्क तो बस विचारों में है
अपने हाथ से,
मैंने निर्दयी को मारा, पिता
भारत स्वर्ग में जागता है।

Saturday, June 8, 2019
Topic(s) of this poem: motivational,translation
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This poem is the Hindi translation of Rabindranath Tagore's famous Bengali poem 'Chitto Jetha Bhayshunyo'.
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