ये पूजा ये गायन क्या है Poem by Ajay Amitabh Suman

ये पूजा ये गायन क्या है

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ये पूजा ये गायन क्या है,
ईश्वर का गीतायन क्या है?
अहम आदि का भान कहीं है,
त्यागी का अभिमान कहीं है।
साधक में सम्मान कहीं है,
भक्त अति धनवान कहीं है।
पूजन का बस छद्म प्रदर्शन,
पर दिल में भगवान नहीं है।
नारद सा गर भाव नही तो,
उस नर के नारायण क्या हैं।
ईश्वर का गीतायन क्या है?
ये पूजा ये गायन क्या है?
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ईशभक्त परायण क्या हैं,
ईश्वर का गीतायन क्या है?
नामों का खटराग कहीं है,
श्रद्धा है ना साज नहीं है,
उर में प्रभु की आग नहीं है,
प्रेम कोई अनुराग नहीं है,
माथे चंदन कमर जनेऊ ,
मानस पे प्रभुराग नहीं है,
फिर हाथों में माला लेके,
मंदिर का ये वायन क्या है?
ईश्वर का गीतायन क्या है?
ये पूजा ये गायन क्या है?
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बिन मीरा बादरायण क्या है,
ईश्वर का गीतायन क्या है?
अधरों पे हीं राम कहीं हैं,
पर दिल में तो राम नहीं है,
ईश नाम पे चित्त में कोई,
थिरकन ना अनुसाम नहीं है।
नर्तन कीर्तन हाथ कमंडल,
काम वसन का ग्राम यहीं है।
चित्त में ना रहते महादेव फिर,
डमरू क्या भवायन क्या है?
ईश्वर का गीतायन क्या है?
ये पूजा ये गायन क्या है?
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अजय अमिताभ सुमन:
सर्वाधिकार सुरक्षित

ये पूजा ये गायन क्या है
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
त्यागी जैसा दिखने का भाव कोई छोटी मोटी वासना नहीं है। इस त्यागी जैसे दिखने के भाव का त्याग करना बड़ी बाधा है, जिसपर साधक अक्सर ध्यान नहीं देते। परिणामस्वरूप त्याग का वो भाव, जो कि ईश्वर की प्राप्ति की दिशा में उठाया जाने वाला पहला कदम है, ईश्वर की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा बन जाता है। ऐसा व्यक्ति भले हीं धनवान बन जाए, ज्ञान, मान, सम्मान, अभिमान आदि की प्राप्ति कर ले, परंतु उसे ईश्वर की प्राप्ति कभी नहीं हो सकती।
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Ajay Amitabh Suman

Ajay Amitabh Suman

Chapara, Bihar, India
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