बदल गया है देश Poem by Upendra Singh 'suman'

बदल गया है देश

दिल्ली का अंदाज़ है बदला बदल गया है देश.
धारा तीन सौ सत्तर का अब रहा नहीं अवशेष.


रावी सिन्धु चिनाब चहकतीं महक रही केशरिया घाटी.
गीत मिलन के मधुर सुहाने गाती है कश्मीर की माटी.
बलखाती झेलम के मन को मिला आनन्द अशेष.
दिल्ली का अंदाज़ है बदला बदल गया है देश.


आज़ शहीदों की अभिलाषा का सचमुच सम्मान हुआ है.
आज तिरंगे को सचमुच ही स्वाभिमान का भान हुआ है.
लोकतंत्र है आज़ प्रफुल्लित देकर परमादेश.
दिल्ली का अंदाज़ है बदला बदल गया है देश.


सीना ताने खड़ा हिन्द अब देखो विश्व-पटल पर.
क्रीड़ा करती है संप्रभुता अंबर अवनी उदधि जल पर.
कश्मीर से कन्याकुमारी एक हुआ है स्वदेश.
दिल्ली का अंदाज़ है बदला बदल गया है देश.


एक झंडा एक संविधान अब एक ध्येय एक है नारा.
विश-गुरू बनकर उभरेगा फिर ये हिंदुस्तान हमारा.
सबका साथ विकास सभी का ‘सुमन' परम संदेश.
दिल्ली का अंदाज़ है बदला बदल गया है देश.

Wednesday, August 21, 2019
Topic(s) of this poem: patriotism
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