केशरिया जोगीरा Poem by Upendra Singh 'suman'

केशरिया जोगीरा

रावी सिन्धु चिनाब हैं कहतीं जाग गई तकदीर.
ता-ता-थईया करता डोले अपना ये कश्मीर.
जोगीरा सर र र र र र.........

हंसीं थे सपने महबूबा के टूट गई तस्वीर.
अमित शाह ने छोड़ा ऐसा दिल्ली से इक तीर.
जोगीरा सर र र र र र.........

अच्छे दिन अब कैसे लोगे भईया रविश कुमार.
छप्पन इंच के सीने ने अब दिया है छप्पर फाड़.
जोगीरा सर र र र र र.........

माँग-माँग कर पेट जो भरता नंबर एक चटोरा.
धमकी देता ‘सुमन' वो हमको लेकर हाथ कटोरा.
जोगीरा सर र र र र र.........

कश्मीरी दामाद बने वो भोग रहे थे स्वर्ग.
मोटा भाई के फंडे ने किया है बेड़ा गर्क.
जोगीरा सर र र र र र.........

राष्ट्रवाद की भुवन मोहनी सब पर पड़ी है भारी.
कहें विपक्षी बाप-बाप और पाक की मति गई मारी.
जोगीरा सर र र र र र.........

धारा ३७० की अब जब हुई विदाई.
सम्प्रभुता की मूर्छा टूटी लेती है अँगड़ाई.
जोगीरा सर र र र र र.........

मोदी है तो सब मुमकीन है कहते थे हम भईया.
बेसुध पड़ा है पाक बेचारा लगा शनि का ढईया.
जोगीरा सर र र र र र.........

Wednesday, August 21, 2019
Topic(s) of this poem: country
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