जेहन कि राहों में Poem by Vinayak Kesarwani

जेहन कि राहों में

अगर तुम्हे लगता है कि
मेरे जेहन में अब |
वो ख्याल आते नहीं,
वो आवाजें गूंजती नहीं,
वो चीखते सन्नाटे कहते नहीं,
तो यह सिर्फ गलतफहमी है तुम्हारी ,
सिर्फ एक भूल है तुम्हारी |

आते हैं,
एक बार आते हैं,
बार - बार आते हैं |
पर अपने अंजाम से पहले,
अपने अंत से मुलाक़ात कर लेते हैं |
ख्याल किसी अँधेरी कब्र में दफना दिए जाते हैं,
आवाजें निकलने से पहले घोट दी जाती हैं,
और सन्नाटों कि तोह पूछो ही मत,
छाने से पहले ही मौत के शंखनाद से तोड़ दिए जाते हैं |

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