कुछ मत कहिये..... Poem by Ajay Kumar Adarsh

कुछ मत कहिये.....

हॉ!
सुनते रहिये...
बैठकर देश की बदहाली.....
और कोसते रहिये....
वोट देते रहिये......
दंस हर-रोज़ सहते रहिये.....
लोकतंत्र लोकतंत्र जपते रहिये......
बड़े स्वतंत्र और छोटे परतंत्र रहिये......
चाहे जो भी हो जाय कुछ मत कहिये...
कुछ मत कहिये.....

Monday, September 12, 2016
Topic(s) of this poem: democracy
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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