आज लिपट कर फिर मुझसे
रो रही है तन्हाइयाँ ।
वक़्त के शिकवें ब़या
करने से डरती तन्हाइयाँ ।
लौट कर आता नही
जो वक़्त आगे चल पड़ा ।
मायूस ख़ाली हाथों में
मजबूरियो की बेड़ियाँ ।
उम्मीद-ए-वफ़ा पर है अब
जी रही ये दिल की मनमानियाँ
कुछ अधूरे आशियाँ
कुछ संगीन नादानियाँ ।
#RA
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