इजाज़त... Poem by Ritika Abigail

इजाज़त...

इजाज़त हो तो
आज एक गुस्ताखी करनी है
आज फिर इन आँखों से बेइमानी करनी है
इन लब़ो को छुआ है निगाहों से बारबां,
क्यों ना इन्हें करने दे
जो इनकी मनमानी है,
बारहां ये वक़्त ना आयेगा फिर,
ख़ुश हूँ ये जानकर कि
आज इन लब़ो पर मेरी ज़ुबानी है ।

#Love
#RA

Friday, June 13, 2014
Topic(s) of this poem: hindi
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