राखी Poem by Shobha Khare

राखी

Rating: 5.0

तुझ को राखी बांध सकी तो
मै दुनिया से बंध जाऊँगी
कोई बंधन मुक्त न होगा
प्यार जगत का मै पाऊँगी,

बोध मिटेगा अपने पन का
भेद न कोई शेष रहेगा
विरह न होगा फिर जीवन में
जग मे क्लेश न लेश रहेगा! !

Sunday, August 31, 2014
Topic(s) of this poem: Life
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 05 May 2015

An impressive poem on Rakhi.................10

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