प्रिय
तुम मुझे चाहती हो
तुम मेरी सांस हो;
माफ करना प्रिय;
मैं अपने शांत गोंसले से उड़
कर आ रहा हूँ
तुम्हारे पास;
नहीं रहना चाहता उन
परिंदों के पास
जो मुझे द्खे बिना
उड़ जाते हैं।
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