समूचा विश्व ''मोदी मय'' हुआ है, उसकी आहट सुन Poem by Abhishek Omprakash Mishra

समूचा विश्व ''मोदी मय'' हुआ है, उसकी आहट सुन

वक़्त जो थम सा गया है, उसकी आहट सुन.
रक्त जो जम सा गया है, उसकी आहट सुन.
धरा पर गरजने फिर से लगी है सिंह की ललकार.
जो सारे जहाँ में छा गया है, उसकी आहट सुन.

पहिया वक़्त का फिर से नया है, उसकी आहट सुन.
ज़माना ज़ुस्तज़ु का अब गया है, उसकी आहट सुन.
जो अब तक सोचते थे, बच गए ससुराल के सुख से.
लो उनका भी बुलावा गया है, उसकी आहट सुन.

सफर जो शेष था वो तय हुआ है उसकी आहट सुन.
रवि का तेज़ जिसमे ले हुआ है, उसकी आहट सुन.
लगता था जिन्हे, ''मोदी'' महज़ दो पल की आंधी है.
समूचा विश्व ''मोदी मय'' हुआ है, उसकी आहट सुन.

तपस्वी सूर्य नभ में चढ़ रहा है, उसकी आहट सुन.
जगत में तिरंगा बढ़ रहा है, उसकी आहट सुन.
सकल ऋतू चक्र के नायक प्रतापी राम राजा का.
अमिट आशीष ''नमो'' पर पड़ रहा है, उसकी आहट सुन.

सपने ''पाक'' के सब जल चुके है, उसकी आहट सुन.
अपने ''आप'' के सब पल चुके है, उसकी आहट सुन.
जिन्होंने लूट रखा था, खज़ाना हिन्द वालों का.
ज़माने उनके जैसे ढल चुके है, उसकी आहट सुन.


''कवि अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा''

Saturday, December 6, 2014
Topic(s) of this poem: love and art
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success