दिल की जुबान Poem by Shobha Khare

दिल की जुबान

न उड़ा सके जिसे आंधी, ऐसी मजबूत चट्टान बनूँगी i
पत्थर को भी बहा ले जाये, मै एक ऐसा तूफान बनूँगी i
कभी खुशी, कभी गम, तभी प्यार मे ढलती हु अब I
अबी तो मै इक हसरत हु जाने कब दिल की जुबान बनूँगी II

Sunday, July 19, 2015
Topic(s) of this poem: life
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