युँही बैठे बैठे
न जाने क्यूँ
आंखोमें पलकोंतले
बारिशें हो गयी शुरू
आज का मौसम है सुहाना एक सफर
तेरी याद छू गयी दिलको बनके एक लहर
यादोंके बादल छा गए दिलमें, छा गयी काली घटा
रिमझिम बरखा बरसे अखियोंसे, न जानू मैं न जाने तू
चमकीले बुँदे, बूँदोँसे उठती आवाजे हलकी
याद लाये सारी दिन-रातें अपनी मिलनकी
मेघा रे, बरस जा तू अब की बार सारा
अगली बार आजा फिरसे संग ले आ तू
नए आशाओंके इंद्रधनुष का एक नया नजारा
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Thank you very much for sharing such a nice poem. The best part is that it starts with tears rolling down the eyes but ending in a promise and hope. I have greatly enjoyed it. A quote: अगली बार आजा फिरसे संग ले आ तू नए आशाओंके इंद्रधनुष का एक नया नजारा