काहे रट लगाते हो कि 2019 में हमें विदाई ना दो Poem by Ajay Kumar Adarsh

काहे रट लगाते हो कि 2019 में हमें विदाई ना दो

बार-बार सत्तर साल, देश-बदहाल, कांग्रेस-माला-माल की दुहाई ना दो
जवाब नहीं है तो मत दो साहेब, आंसूओं के साथ-साथ मगर ढिठाई ना दो
राज़ करने का रत्ती-भर अगर हुनर नहीं है साहब
फिर काहे रट लगाते हो कि 2019 में हमें विदाई ना दो

Thursday, December 21, 2017
Topic(s) of this poem: political,political utopia,politics
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
Close
Error Success