रहता नही मैं अकेला आज कल
मेरे कमरे में तन्हाई भी रहती है..
सब कुछ है मेरी दुनिया में मगर
तेरी कमी भी रहती है..
मुस्कुरा देता हूँ याद करके तुम्हारी बचकानी हरकतें
मगर आँखों में नमी भी रहती है..
कैसे कहूँ तुम्हे कितना याद करता हूँ
दिल में छुपी बातें तुम्हारी रहती है..
सावन में भी सुखा सा मन रहता है मेरा
तेरे बिन हर मौसम में वीरानगी सी रहती है..
आँखों की बेबसी कोई समझता नही
क्यूँ लेकर एक बून्द अश्क की बैठी रहती है..
तस्वीर को दिल से लगाए हरदम
बस राह तुम्हारी देखती रहती है..
रहता नही मैं अकेला आज कल
मेरे कमरे में तन्हाई भी रहती है..
: - आनंद प्रभात मिश्र
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