याद तो करोगी ना
जब तेज हवाएं दिए के लौ से टकराएंगी
हाथों से घेर दुआओं को बचाओगी ना
आईने में देख बिंदी जो माथे पर लगाओगी
हल्की सी आहट पर पल्लू सर पर लगाओगी ना
कभी किसी रात चांद तुम्हें देखे छत पर
तुम अपनी पलकें झुका कर शर्माओगी ना
जब कोई सुनाएगा किस्सा अपने मोहब्बत की
और ख्यालों में गर आ जाऊं मैं तुम्हारे तो बोलो
याद तो करोगी ना...
: -आनन्द प्रभात मिश्रा
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