गुरुवर अनंत वाणी Poem by Anant Yadav anyanant

गुरुवर अनंत वाणी

गुरु आपकी ये अमृत वाणी
याद हमे यूं सदा रही है,
याद हमे यूं सदा रही है ।

मिला सिख जो आपसे गुरुवर
क्या अच्छा है क्या बुरा
यह पहचान हमे यूं सदा रही है
यह पहचान हमे यूं सदा रही है।

चुनौती से लड़ना सिखलाया
आप ही ने हमे आगे बढ़ना सिखलाया
भाग्य भरोसे न बैठो तुम
आप ही ने मेहनत करना सिखलाया ।

मैं भवसागर पार हो जाऊं
गुरु की वाणी को तार मैं जाऊं
गुरु की महिमा नित नित गाउं
गुरु की महिमा नित नित गाउं ।

आप हमारे मार्गदर्शक हो,
आप से है शुरुआत हमारी

आप के चरणों में स्वर्ग बसे है
शीश झुका कर सहज भाव
नित नित चरण प्रणाम करूं।

लिखे अनंत ये गुरुवर
यह सब जो सब आप से है
यह सब जो सब आप से है।

गुरु आपकी ये अमृत वाणी
याद हमे यूं सदा रही है
याद हमे यूं सदा रही है ।

By अनंत यादव

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success