अपनी झलक ये जिन्दगी Poem by Anant Yadav anyanant

अपनी झलक ये जिन्दगी

Rating: 5.0

दिखा दे अपनी झलक ये जिंदगी,
देखा वो राहों में गुनगुनाए पड़ी
देखो इधर उधर ढूंढा बहुत
पर कम्बक्त है न साथ खड़ी,
खेले लुक्का छिपाई,
आंख मिचौली कर मुस्कुराए खड़ी
दिखा दे अपनी झलक ये जिंदगी।

न जाने कब कहां तुझसे खफा,
ये जिन्दगी
नही तो समझाए वो मुझे,
मै भी उसको समझाया करता
गए पल सब बीत,
याद भी यूं य नही कब दिखाए
दिखा अपनी झलक ये जिंदगी ।

मैंने पूछा क्यों दिए दर्द बड़े
दिखी अपनी झलक जिन्दगी की।
बोली जिन्दगी , पगले। मैं ही हुं जिन्दगी
कभी हसी पड़ी, कभी दुखी पड़ी
पर तुझे जीना सिखाया,
दिखा अपनी झलक ये जिंदगी

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success