ह्रदय कोलाहल करता है (HIRDAY KOLAHAL KARTA HAI) Poem by Nirvaan Babbar

ह्रदय कोलाहल करता है (HIRDAY KOLAHAL KARTA HAI)

ह्रदय कोलाहल करता है,
धड़कता है, बड़ा शोर ये करता है,

चंचल है बड़ा ये, चंचल है,
बड़ा ही विचलित, करता है,

नींद को खोजे हर रात ये,
रात भर ये जागा करता है,

विलीन कर लेता है, ख़ुद को, किसी की याद मैं,
हमारा होने का बस, दम ये भरता है,

निर्वान बब्बर

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