धडल्ले से बन रहे है
छोटे - छोटे हाइड्रो -प्रोजेक्ट
पहाड़ों में
लूट रहे है ठेकेदार सरमायेदार
हजारों लाखों करोड़ों में
मंत्री जी भी सारे के सारे
डूबे हुए है घी के डिब्बों में
दिला रहे है क्षणिक नौकरी
अपने साईण्ड डी. ओ. से
साल दो साल में कंसट्रकशन पूरी
नौकरी गई भाड़ में
पर मंत्री जी को क्या फर्क पड़ा
वो तो अब तक जीत गया चुनाव में
बेरोजगारी फिर से वैसी की वैसी
लैंड होल्डर भी छले गए
प्राकृतिक संसाधनों से
मिलने वाले पैसे
सारे पूंजीपतियों के बैग में चले गए
क्या सचमुच लोकतंत्र हो चुका है
इतना भंगुर
सरकार के पास
प्रोजेक्ट बनाने को पैसे नही
और बना रहे है लुटेरे शशुन्द्र
अगर प्रोजेक्ट बनाने ही है
तो सरकारी बनाओ
बेरोजगारों को परमानेंट
रोजगार दिलाओ
लैंड होल्डर को मुआबजा दिलाओ
भूगोल और पर्यावरण के सारे
मापदंड अपनाओ
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