चाहे कितनी भी मुसीबत आ जाएँ,
कभी हिम्मत हारा नहीं करते,
जाँ पहले से ही अपनी ना थी,
इस जाँ की परवाह नहीं करते,
जो जीने की कला जानते हैं,
वो मरने से डरा नहीं करते,
जो हर ग़म मैं हसना जानते हैं,
वो ग़मों से डरा नहीं करते,
ज़ख्मों को सह कर हम बड़े हुए,
हर ज़ख़्म को सीना जानते है,
हम हर भीड़ मैं अलग ही दिखते हैं,
अपनी पहचान बचाना जानते हैं,
ना फिक्र हमें इस दुनिया की, ना फिक्र है दुनियावालों की,
हम बे - फिक्री से जीना जानते हैं,
दुनिया राज़ हमारे क्या जानेगी,
दुनिया के हम हर राज़ जानते हैं,
निर्वान बब्बर
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