Kitani Sangdil Hai Poem by milap singh bharmouri

Kitani Sangdil Hai

कितनी संगदिल है मेरी चाहत
दिल को पहुंचाती नही मेरे राहत
हर हंसी से नजर मिलाते हो
देखी है मैंने तेरी भी शराफत
प्यार पर शक करना मोहबत में
हुस्न की यारो है पूरानी आदत
तेरी हरकतें में सब पहचानती हूँ
दिल में कालिख बातों में हलावत
सिर्फ इक बार इनायत कर दे
फिर उम्रभर करूंगा तेरी इबादत

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