रास्ता -
िबलकुल सूना था
चंद मुसािफर आए
कुछ पल के िलए
चंचलता की लहरे दौड पडी
िदलकशी छा गई
मुसािफर चले गए
रास्ता-
िफर सूना रहा गया
रात-
िबलकुल सूनी थी
अँधेरी थी
भोर हुई सूरज िनकला
कुछ पल के िलए
हरसूँ रौशनी छा गई
चंचलता छा गई
सूरज चला गया
रात-
िफर सूनी रहा गई
िजंदगी-
िबलकुल सूनी थी
कुछ मेहमान आए
स्वप्न बन कर
कुछ पल के िलए
ऐसा लगा, िजंदगी सँवर गई
स्वप्न टूटा
िजंदगी-
िफर सूनी रहा गई
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