क्या - क्या करना पड़ता है (KYA - KYA KARNA PADTA HAI) Poem by Nirvaan Babbar

क्या - क्या करना पड़ता है (KYA - KYA KARNA PADTA HAI)

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ऊँचे - नींचे रास्ते देखे,
फिर भी चलना पड़ता है,

जीवन को सजाने के लिए,
जीवन को जीना पड़ता है,

खुशियों को पाने के लिए,
कष्टों को सहना पड़ता है,

अपनों को कुछ देने के लिए,
कुछ अपना ही, खोना पड़ता है,

हँसते जीवन की चाह मैं मित्रों,
नीर, नैनो से बहाना पड़ता हैं,

मत पूछ मुझसे, ऐ मित्र मेरे, क्या - क्या हमको करना पड़ता है,
उत्तम हो जाने के लिए, उस सर्वोत्तम (इश्वर) को पाना पड़ता है,

निर्वान बब्बर

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