चार फाटकों में बसा गया तीर्थ l Poem by KUMAR ONKAR SHAKTI

चार फाटकों में बसा गया तीर्थ l

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विश्व की प्राचीन नगरी गया दुर्ग रक्षित शहर के रूप में ख्यात था जहाँ चार दिशाओ में चार विशाल

फाटक और १३ खिड़की के साथ साथ चौदह बैठक का अस्तित्व कायम था l पूर्व में देवघाट, पश्चिम

में चांदचौरा, उत्तर में ब्राम्हिनी घाट और दक्षिण में दरवाजा जो चार फाटक इस्थित है, उसमे इस साल

उत्तर और दक्षिण फाटक का सौन्दर्याकरण किया गया है l
इतिहास के झरोके में झाकने से स्पस्ट होता है की नगर की घेराबंदी की परंपरा भारत भूमि में

प्राचीन कल से ही विद्ममान रही है l ऐसे प्रकृति सम्पन, नदियां, पर्वतो और अरण्य खंडो में भी

कितने नगरो के लिए रक्षा कवच की भूमिका अदा की है l

बाहरी आक्रमण से सुरक्षा आतंकियों के आगमन पर रोक और शांतिमय जीवन

व्यतीत करने की लिप्सा में ही नगर घेराबंदी जैसे निर्माण को बल दिया l विवरण है की ओमर नगरी

को सुरक्षात्मक द्रिस्टीकोण से ११ वी सदी पूर्वोवत में कदवहा राजपूत राजाओं ने रक्षात्मक प्राचीन व

दुर्ग से युक्त दिवार से रक्षित करवाया l आगे १२ वीं शताब्दी में अलवर नगर को परकोटे के बीच

बसाय जाने के वृतांत मिलते है जहाँ कुल मिलाकर छह विशाल दरवाजों का अस्तित्व था l

Thursday, February 19, 2015
Topic(s) of this poem: historical
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KUMAR ONKAR SHAKTI

KUMAR ONKAR SHAKTI

22/12/1996
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