नयनो में जब बात होने लगी
मिली तुझसे नज़र, दिल में लहरें उठने लगी
मच गयी सनसनी तन बदन में,
रोम रोम पुलकित होने लगे.
रेशमी जुल्फ़ों की मुलायमता,
लाजवाब खुशबू बदन की,
रुखसार की लालीमा,
थरथराते लब गुलाबी,
साँसों से साँसे टकराने लगी,
बंद आँखों में ही बात होने लगी
मुद्दतों रहे खामोश लब अब थरथराने लगे है।
दिल को ये बात समझाने लगे हैं।
छू गयी आपसे उँगलियाँ जब मेरी.
सुर्ख लब थरथराने लगे अब,
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