तू स्नेह की धारा है
ममता का सागर है
प्रेम से भी पावन
सरिता से भी शीतल है।
तू ज्योति की पहली किरन
कदमोँ का सहारा है
मुर्झाती साँसोँ मे
अमृत की धारा है।
तू करुणा से भी करुणी
सद्भाव सी कोमल है
क्या नाम दूं माँ तुझको
हर शब्द अधूरा है
शब्दोँ की सूची मेँ
बस माँ ही पूरा है
बस माँ ही पूरा है।
स्नेह का साया है
एहसास तेरा मन मेँ
मातृत्व परम पावन
आभास तेरा मन मेँ।
तू सकल प्रेरणा है
मग दुर्लभ जीवन मेँ
क्या नाम दूँ माँ तुझको
हर शब्द अधूरा है
शब्दोँ की सूची मेँ
बस माँ ही पूरा है
बस मां ही पूरा है॥
विवेक तिवारी
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
again a beautiful dedication sir...the greatest unconditional and infinite love we will ever experience in our existence is mother's love