मैं दीवानी हुई, पी की रानी हुई (MAI DIWANI HUI PEE KI RANI HUI) Poem by Nirvaan Babbar

मैं दीवानी हुई, पी की रानी हुई (MAI DIWANI HUI PEE KI RANI HUI)

मैं दीवानी हुई, पी की रानी हुई,
मो से मन की कही ना - कही जाए आज,
खुदको समझाया जाए ना, उनसे कहा भी जाए ना,
बोलूं तो बोलूं क्या बोलूं जी आज,

मैं तो अलबेली, दीवानी, पगली सी नार,
उनसे नैना लडे रे - लडे रे हमार,
खेलें वो हर पल हमसे, जोरा ज़ोरी करें,
पल भी ना छोड़े - ना छोड़े, रे साथ,

पलकें भारीं हैं जी – भारीं, निंदिया से आज,
पलकें भारीं हैं - भारीं जी भारीं हैं आज,
नैना बोझिल हैं मोरे - मोरे जी आज,
अब तो छोड़ो - रे - छोड़ो, रे छोड़ो जी हाथ,

ना मरोरो कलाई, सैयां जी आज,
सवेरे करनें हैं - करनें हैं - करनें हैं काज,
सांझ कल भी तो आएगी - कल भी तो आएगी रात, समझो जी - समझो जी - समझो जी बात,
मन की कर लेना - कर लेना - कर लेना जी कल, बस छोड़ो जी - छोड़ो जी - छोड़ो जी आज,

मैं दीवानी- दीवानी, हुई जा रही,
मो को थमने का मौका दो, मौका दो आज,
मैं दीवानी हुई, पी की रानी हुई,
मो से मन की कही ना - कही, जाए आज..............

निर्वान बब्बर

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