वो पिता है Poem by Monika Pal

वो पिता है

उम्मीद और आस हैं
वो पिता हैं।
परिवार कि ताकत और विश्वास हैं।

हमारी खाईशो को पुरा करते करते
खुदकी अभिलाषाओ को भूल जाते हैं
वो पिता हैं।
हमे उनसे भी ज्यादा कामियाब देखना चाहते हैं
उनका प्यार हम देख नहीं पाते।
बात बात पर यही कहते हैं 'वो डाटते ही बोहोत हैं। '
क्या करे आखिर
वो पिता हैं।
हमे उच्ची उड़ान भरते देखना चाहते हैं।

छोटी छोटी खिलौनों कि माँग पुरी करने वाले
आज हमारी बड़ी बड़ी गलतियों पर डाटते हैं।
वो पिता हैं
हमे मुश्किलों का सामना करना सिखाते हैं।

COMMENTS OF THE POEM
Pallab Chaudhury 29 May 2023

Beautiful poem being shared... Nicely inked... Congrats!

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