उम्मीद और आस हैं
वो पिता हैं।
परिवार कि ताकत और विश्वास हैं।
हमारी खाईशो को पुरा करते करते
खुदकी अभिलाषाओ को भूल जाते हैं
वो पिता हैं।
हमे उनसे भी ज्यादा कामियाब देखना चाहते हैं
उनका प्यार हम देख नहीं पाते।
बात बात पर यही कहते हैं 'वो डाटते ही बोहोत हैं। '
क्या करे आखिर
वो पिता हैं।
हमे उच्ची उड़ान भरते देखना चाहते हैं।
छोटी छोटी खिलौनों कि माँग पुरी करने वाले
आज हमारी बड़ी बड़ी गलतियों पर डाटते हैं।
वो पिता हैं
हमे मुश्किलों का सामना करना सिखाते हैं।
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