My Prayer Poem by Ramesh Kavdia

My Prayer

हे प्रभु
मैं पानी की एक बूंद
तू विराट सागर
हर पल तुझमे रहूँ
बन स्वयं एक सागर

हे प्रभु
तू कृष्ण बन
अपनी चतुरता सिखा
मैं दुनिया की कुटिलता
से खुद को बचा सकू

हे प्रभु
तू राम बन
अपना आदर्श बता
मैं सत्य की राह पर चल
अपने स्वाभिमान को बचा सकू

हे प्रभु
तू शिव बन
इतनी शक्ति दे
मैं दुनिया की विष को
नफरत और जलन को
आराम से पचा सकू

हे प्रभु
तू हनुमान बन
मुझे बल प्रदान कर
मैं अन्याय और दुष्टों का
सामना कर सकू

मुझे तो अपनों ने भी साथ छोड़ा
तो पराये की क्या कहूँ
जिन को मैनें प्यार दिया
उनकी नफरत अब कैसे सहूँ

एक तू ही मेरा सहारा है
तू ही सब से प्यारा है
इस डूबती नैया का
तू ही एक किनारा है


लेखक: रमेश कावडिया
२5 मार्च २०१२ रविवार

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