No Time (Part Ii) Poem by Kavita Kilam

No Time (Part Ii)

Part II
आज फिर थोड़ा वक्त मिला है
आज फिर ये कलम चली है
इस डिजिटल ज़माने में
जैसा मैंने पहले भी कहा
वक़्त की किल्लत है ना
फ़ोटोअपलोड करो तो
ढेर सारे stickers स्वागत करेंगे
दिल की बात की तो
No time boss! No time!
क्योंकि फुरसत कहाँ है आजकल
तुम्हारी फ़िज़ूल की बकवास की
तुमको खुश करने के लिए
Like बटन दबा देंगे
तुम भी खुश तुम्हारा दिल भी
वाह भाई कितने दोस्त कितने followers 😊
वक़्त प्याज़ की तरह दुर्लभ,
कभी कभी ही नसीब होता है
एक जमाना था कि घर में भी
और दिल में भी भरपूर था
और स्वाद ज़िन्दगी का
था कुछ और ही, मज़ेदार, मसालेदार, लाजवाब
और अब लाइफ का tastebland 🍚
पर सब चलता है
क्योंकि No Time for taste boss! No Time! 🍚🙄

Monday, March 2, 2020
Topic(s) of this poem: humour
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
It's a continuation to my previous composition.A way to express how things, people and times have changed under the disguise of being too busy.
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success