तेरे होने की याद Poem by Pushp Sirohi

तेरे होने की याद

मैं जो तन्हा था बहुत पहले से
तेरे होने से ही आबाद हुआ था

हमने चाहा तुझे इस डर से भी
कि कहीं इश्क़ हमें याद न था

जो भी बीता है तेरे साथ कभी
वही हर लम्हा पुष्प की याद था

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success