कहे बिना रह गया Poem by Pushp Sirohi

कहे बिना रह गया

हम चले आगे मगर दिल पीछे रह गया
वो जो कहना था अधूरा रह गया

इश्क़ ने वक़्त से पहले सिखा दिया
जो समझना था, वही रह गया

आज महफ़िल में भी चुप है पुष्प
जैसे कोई ग़ज़ल कहे बिना रह गया

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