सावरें के रंग रंगी, बाँवरी हुई जाए रे (SAWAREN KE RANG RANGI BAAWARI HUI JAAYE RE) Poem by Nirvaan Babbar

सावरें के रंग रंगी, बाँवरी हुई जाए रे (SAWAREN KE RANG RANGI BAAWARI HUI JAAYE RE)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी राधे - कृष्ण जी के चरणों मैं प्रेम पूर्ण भेट:

सावरें के रंग रंगी, बाँवरी हुई जाए रे,
राधा की जान सूखे, साँसे थमीं जाएं रे,

शाम भी विचलित हैं हुए, विरहा मन जलाए रे,
मुख से क्या बोलें अब, जिव्हा सिली जाए रे,

दोनों के हृदय देखो, हर षण करहाएं रे,
विरहा की अग्नि मैं, राख हुए जाएं रे,

प्रेम के दीवाने दोनों, बे-सुध हुए जाएं रे,
दोनों को दोनों ही बस, दोनों ही भाएं रे,

ऐसे मैं दोनों बोलो, कहाँ - किधर जाएं रे,
विरहा की पीड़ा मैं, दोनों बहे जाएं रे,

निर्वान बब्बर

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