फिर इक दिन, बीत गया, सांझ की बेला, आई है,
थोड़ी ठंडक सी आई है, अब मौसम मैं, नभ पे, लालिमा सी छाई है,
धीरे - धीरे, अँधेरा अब, होने को है,
दिखाने को है आसमां अब, तारों की छवि,
रजनी के आने की, आहट अब राहों मैं है,
आसमां के पटल पर, चाँद का अक्स अब, दिखने को है,
किसी की यादों का तूफां, अब छाने लगा फिज़ाओं मैं,
किसी के होने की महक, अब हवाओं मैं है,
साँसों से उठने लगे हैं, ज्वार कई,
किसी की बाहें, किसी के इंतज़ार मैं है,
चेहरों से चेहरे अब हैं मिलने को, साँसों से मिल के साँसें, अब दहकने को हैं,
खामोशी मैं अरमानों के सुर्ख राज़, खुलने को हैं,
इस तन को हरकत मैं अब लाने को हैं दिल के बे - बाक जज़्बात कई,
सदियों से बिछड़े दो जिस्म यहाँ, अब एक जाँ होने को हैं,
निर्वान बब्बर
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