Rohitashwa Sharma

Rohitashwa Sharma Poems

प्रतीक्षा और अभिलाषा

राह देखते आँखें ठहरी, आजाओ ना पास प्रिये
छोड़ जहाँ की दुनियादारी, आओ कुछ पल साथ जियें
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The Best Poem Of Rohitashwa Sharma

प्रतीक्षा और अभिलाषा

प्रतीक्षा और अभिलाषा

राह देखते आँखें ठहरी, आजाओ ना पास प्रिये
छोड़ जहाँ की दुनियादारी, आओ कुछ पल साथ जियें

पथरीली राहों पर चलते, जख्मी दोनों पांव हुए
बैठ पेड़ की छाँव तले अब, आओ अपने जख्म सियें

पैर थक गए बहुत अब मेरे, कन्धा दो ना बांह तले
दूर बहुत चल लिया अकेला, आओ दो पग साथ चलें

फसल प्यार की सूख रही है, धरती सारी सुलग रही है
प्यास गले की शीतल करने, बरस जाओ न आज प्रिये

बीन बजायी बहुत अकेले, साँसे अब तो फूल रही हैं
जीवन राग में संगत देने, आजाओ सब साज लिए

औरों के सपनो की खातिर, अब तक दोनों दूर रहे
बैठेँ फिर यूँ पास पास हम, अपने मन की बात कहें

प्यार का सागर जो दिल में था, मतलब वाले शुष्क कर गए
नदिया बन के तोड़ बांध सब, मिल जाओ फिर इक बार प्रिये

स्वार्थ की दुर्गन्ध भरी दुनिया में, साँसे ले के कैसे जियें
निर्मल प्यार की खुशबु से जग, महका जाओ आज प्रिये

होने को है शीघ्र अँधेरा मंज़िल थोड़ी दूर है
मिल जाओ ना राह दिखने, लेके कुछ जगमग दिए

रोहित

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