ये सुखी टहनियां भी हवा के झोंकों का लुत्फ़ उठाती हैं,
बारिश की बूंदों में ये भी नहाती हैं!
जिस सूरज की रौशनी में हुई बड़ी,
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सिलसिलेवार काफिले चलते रहे,
उस हसीन चेहरे को हम निहारते रहे!
नायाब्पोशी में उसकी ये जहान लगा रहा,
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