Amrit Pal Singh Gogia Poems

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11.
A-038. अजी सुनते हो!

अजी सुनते हो! 18.6.16—7.00 AM

अजी सुनते हो!
कहाँ सुनते हो
...

12.
A-010. मेरा संगीत हो

मेरा संगीत हो 22.6.16—4.35 AM

जिंदगी के कुछ छणों को बेशक उधार लो
बहुत ज्यादा न सही बेशक कभी कभार लो
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13.
A-102. एक शीशा चरमराया

एक शीशा चरमराया -29.8.15—3.33AM

एक शीशा चरमराया
कुछ समझ नहीं आया
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14.
A-251 मेरा रक़ीब

A-251 मेरा रक़ीब 13.3.17-7.00 AM

मुझे मेरे रक़ीब से प्यार हो गया
महबूबा मेरी का वो यार हो गया
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15.
A-087. देखा है इनको

देखा है इनको 26.4.16—10.15 AM

गरीब गुरबों की क्या बात करूँ
न तो हैवानों में आते हैं
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16.
A-079. तेरा करीब आना

तेरा करीब आना 28.2.16—8.00 AM

तेरा करीब आना और फिर मुस्कराना
नज़रें करीब लाना और मुझको बुलाना
...

17.
A-271 तेरी इनायत

A-271 तेरी इनायत 15.5.17- 11.21 PM

तेरी नज़रों में देखूं और प्यार करता जाऊँ
तेरी इनायत हो तो थोड़ा इज़हार कर लूँ
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18.
A-235 बहाना ढूँढते हो

बहाना ढूँढते हो
कभी मुस्कुराने का
कभी खिलखिलाने का
झूठी हँसी हँसकर
...

19.
A-290 एक मुसाफ़िर

A-290 एक मुसाफ़िर 22.6.17-6.52 AM

एक मुसाफ़िर की नज़र में बता दे तू कौन है
खुदा है ज़मीं है हलचल है या कि
...

20.
A-291 मैं चाहता हूँ

A-291 मैं चाहता हूँ 22.6.17- 10.32 AM

मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ
हर लम्हा तेरे साथ रहूँ, खुल के इज़हार करूँ
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